तिरुपति बालाजी प्रसाद विवाद के बीच काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रसाद के जांच दिए गए आदेश

हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में मिलावट के आरोपों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसी तरह, अब काशी विश्वनाथ मंदिर के महाप्रसाद पर भी सवाल उठ रहे हैं। वाराणसी के एसडीएम शम्भू शरण ने महाप्रसाद तैयार करने वाली जगह का औचक निरीक्षण किया, जिससे यह मुद्दा और भी गरम हो गया है। हालांकि, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस निरीक्षण को केवल खानापूर्ति बताते हुए सरकार से महाप्रसाद में इस्तेमाल होने वाली सामग्रियों की गहन जांच की मांग की है।

तिरुपति लड्डू विवाद के बाद काशी विश्वनाथ महाप्रसाद पर सवाल

तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल के इस्तेमाल की खबरें आईं थीं, जिसके बाद पूरे देश में हंगामा मच गया। यह खुलासा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने किया था, जिसने जगन मोहन रेड्डी के कार्यकाल की जांच रिपोर्ट को उजागर किया। अब इसी संदर्भ में काशी विश्वनाथ मंदिर के महाप्रसाद की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि मंदिरों में बनने वाले प्रसाद की पवित्रता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ न हो।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की टिप्पणी

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है। हाल ही में बीएचयू के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मंदिरों के प्रसाद को बड़ी श्रद्धा से ग्रहण किया जाता है, इसलिए इसकी गुणवत्ता की जांच बेहद जरूरी है। उन्होंने देश के सभी प्रमुख मंदिरों के प्रसाद की गुणवत्ता जांचने की मांग की। उनका मानना है कि मंदिरों में बनने वाले प्रसाद में जो सामग्री इस्तेमाल हो रही है, उसकी पूरी जांच होनी चाहिए, ताकि किसी प्रकार की मिलावट से बचा जा सके।

कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का बयान

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी इस मामले की गम्भीरता को समझते हुए कहा कि बालाजी प्रकरण के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के महाप्रसाद की भी जांच जरूरी है। उन्होंने एसडीएम शम्भू शरण के औचक निरीक्षण को महज खानापूर्ति बताया और कहा कि सिर्फ निरीक्षण करना काफी नहीं है। राय का मानना है कि घी और अन्य सामग्रियों की रैंडम सैंपलिंग करके सरकारी लैब में जांच करवानी चाहिए और इसकी रिपोर्ट जनता के सामने लानी चाहिए।

औचक निरीक्षण और जांच प्रक्रिया

शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के एसडीएम शम्भू शरण ने महाप्रसाद की तैयारी स्थल का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि महाप्रसाद में इस्तेमाल होने वाली सामग्री, खासकर घी की गुणवत्ता की जांच की गई। इस घी को सप्लाई करने वाली रुद्र डेयरी के सभी दस्तावेजों की भी जांच की गई और यह पाया गया कि डेयरी का प्रमाणपत्र अक्टूबर से दिसंबर 2023 तक के लिए दिल्ली की बंसल लैब से प्रमाणित है।

हालांकि, जब एसडीएम से घी के सैंपल जांच के लिए भेजे जाने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह काम फूड डिपार्टमेंट का है। महाप्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्री का सैंपल हर महीने या डेढ़ महीने में अधिकृत लैब में जांच के लिए भेजा जाता है, जिससे उसकी गुणवत्ता की पुष्टि हो सके।

मिलावट पर नियंत्रण जरूरी

तिरुपति बालाजी और काशी विश्वनाथ मंदिर दोनों ही श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र हैं। इन मंदिरों में बनने वाले प्रसाद को लेकर इस तरह की मिलावट की खबरें लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं। इसलिए, इस तरह के मामलों पर सख्त कार्रवाई और नियमित जांच प्रक्रिया सुनिश्चित की जानी चाहिए।

अजय राय और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जैसे नेताओं द्वारा उठाई गई जांच की मांग सही दिशा में उठाया गया कदम है। यह आवश्यक है कि मंदिरों के प्रसाद की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शी और प्रभावी जांच प्रक्रिया अपनाई जाए, ताकि श्रद्धालु निश्चिंत होकर प्रसाद ग्रहण कर सकें और उनकी आस्था में कोई कमी न आए।

तिरुपति लड्डू विवाद के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर के महाप्रसाद पर भी सवाल उठ रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि मंदिरों में बनने वाले प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर सख्ती जरूरी है। नियमित और सख्त जांच से ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि मंदिरों के प्रसाद की पवित्रता और शुद्धता बनी रहे। श्रद्धालुओं की आस्था के प्रतीक इन प्रसाद की गुणवत्ता पर किसी भी तरह का समझौता न हो, यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है।

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