मध्यप्रदेश के करीब 70 हजार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की मांग पर राज्य सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। राज्य के लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत इन शिक्षकों को अब नियमित नहीं किया जाएगा। इस फैसले ने उन हजारों अतिथि शिक्षकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, जो की काफी लंबे समय से सरकार से नियमतीकरण की मांग कर रहे थे।
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अतिथि शिक्षक बने रहेंगे मेहमान
कुछ दिनों पहले स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने इस बारे में बयान दिया था कि अतिथि शिक्षकों को नियमित नहीं किया जाएगा, क्योंकि वे “अतिथि” ही बने रहेंगे। उन्होंने साफ किया कि अब इन शिक्षकों का नियमितीकरण नहीं होगा। हालांकि, सरकार ने उन्हें पूरी तरह से निराश नहीं किया है, क्योंकि सीधी भर्ती में उन्हें 25% आरक्षण का लाभ मिलेगा।
हाईकोर्ट के आदेश और अतिथि शिक्षकों की याचिका
अतिथि शिक्षकों ने इस मुद्दे पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने अपने अनुभव और योग्यताओं का हवाला देते हुए नियमित करने की मांग की थी। उनका कहना था कि वे शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण हैं और डीएड, बीएड जैसी शैक्षणिक योग्यताएं रखते हैं। इनमें से कई शिक्षक 3 से 15 सालों तक शिक्षा क्षेत्र में सेवा दे चुके हैं। याचिका में यह भी तर्क दिया गया था कि अन्य राज्यों में अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जा चुका है, इसलिए मप्र में भी उन्हें इसी आधार पर नियमित किया जाए। हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद डीपीआई ने यह आदेश जारी किया।
25% आरक्षण का लाभ किसे मिलेगा?
सरकार ने सीधी भर्ती के तहत 25% पद अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया है। इसमें उन शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी जिन्होंने कम से कम 3 शैक्षणिक सत्रों में और 200 दिन सरकारी विद्यालयों में सेवा दी है। अगर इस श्रेणी में सभी पद भरने में असफलता होती है, तो वे पद अन्य योग्य उम्मीदवारों से भरे जाएंगे।
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शिक्षक भर्ती प्रक्रिया कैसे होगी?
मध्यप्रदेश राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए 2018 और 2022 में संशोधित नियमों के अनुसार, शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के बाद शिक्षक चयन परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती की जाएगी। इस भर्ती प्रक्रिया में ही 25% पद अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित होंगे, लेकिन नियमितीकरण की कोई योजना अब नहीं है।
अतिथि शिक्षकों की निराशा
इस फैसले से प्रदेश के हजारों अतिथि शिक्षकों को निराशा हाथ लगी है, जो उम्मीद कर रहे थे कि सरकार उन्हें स्थायी शिक्षक के रूप में नियुक्त करेगी। अब उन्हें सीधी भर्ती की प्रक्रिया में शामिल होना पड़ेगा, जहां उन्हें 25% आरक्षण मिलेगा, लेकिन यह उनकी सभी मांगों को पूरा नहीं करता।
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इस प्रकार, मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण अब संभव नहीं है। उन्हें अब भविष्य में सीधी भर्ती की प्रक्रिया का इंतजार करना होगा, जहां उन्हें आरक्षण का लाभ तो मिलेगा, लेकिन स्थायी शिक्षक बनने की उनकी वर्षों की इच्छा अभी अधूरी ही रहेगी।
सरकार का यह फैसला अतिथि शिक्षकों के लिए एक मिश्रित संकेत है। एक तरफ उन्हें आरक्षण का अवसर मिला है, तो दूसरी तरफ उनकी नियमितीकरण की मांग को ठुकरा दिया गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे आने वाले समय में सरकार और अतिथि शिक्षकों के बीच इस मुद्दे पर क्या नया मोड़ आता है।